शोर

नींद नहीं आती अक्सर
अनंत आवाजों ने
मन की परतों के भीतर
डेरा जमा लिया है
ये अपनी ही सुनाए जातीं हैं
और सारी रात आँखों में कट जाती है
खीझ उठती हूँ ..झल्लाती हूँ..
फटकार भी लगाती हूँ
सब व्यर्थ
पर कल खूब गहरी नींद आयी
जेनरेटर के गड़ गड़
लाउडस्पीकर के बेसुरे कंठस्वर
पटाखों के धमाकों
लोगों के कहकहों के बीच
बेसुध सो गयी
पूरे सात घंटे सोयी रही
आज जाना मैंने
कि 'भीतर के शोर' से बचने के लिए
बाहर,'शोर' का होना जरुरी है यारा
---स्वयंबरा

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सच तो है अगर भीतर का शोर बहार का शोर सुनने दे ...