पीड़ा

यहाँ-वहाँ बिखरे हर्फों को जोड़ दूं...
तो एक मुकम्मल वाक्य बन ही जाएगा
फिर तो तुम पकडे जाओगे ...
पर नहीं करती कोशिश
कि जो कह न सको उसे समझ ही क्यों लूं....
जो बता न सको उसे मान ही क्यूँ लूं
जाओ,
नहीं सुनती तुम्हारे अबोले को
नहीं पढ़ती तुम्हारी खामोशी
कि समझ कर भी ना समझने की टीस
नकारे जाने की पीड़ा से
कम ही दुःखती है यारा
----स्वयंबरा

Comments

Popular Posts