किसकी पुकार

अक्सरहा
कोई आवाज़ देता है मुझे
आठो पहर
टेरता है मेरा नाम
दिन रात
पुकारे ही जाता है
जागूं या कि स्वप्न में होऊं
गूंजता ही रहता है मेरा नाम
कौन है वह
किस दिशा में हैं
जमीन या कि आसमान
कुछ सूझता नहीं
इतनी करुणा, वेदना
जैसे कि प्रेमी हो मेरा
या माँ सा हो कोई
या कि वो सारे एहसासात
जिसे दफनाया था मैंने बारी-बारी
--स्वयंबरा
(एहसासात-feelings)

Comments

Popular Posts