बन्दर मामा,मम्मी आ गयी है!!अब डराकर दिखाओ!


आज कल हमारे शहर में बंदरों का आतंक बढ़ गया है ..ये हर वक़्त पूरी फौज के साथ चलते है... हर दूसरे दिन हमारे घरों पर धावा बोलते हैं और सब कुछ तहस-नहस कर देते है (वैसे जब हमने उनके आशियाने को उजाड़ दिया है तो शिकायत का हमें  अधिकार कहाँ? ) ..फलों के पेड़ वाले घर  खास तौर पर निशाना बनते हैं ...हमारे घर में भी एक अमरुद का पेड़ है.. उसपर फल लदे पड़े हैं...पर क्या मजाल की हम एक  भी चख सकें ..'हुजुर लोगों' से इतनी मिन्नतें करते है फिर भी उन्हें दया नहीं आती ....हम देखते रह जाते  है और वो...वो तो पेड़ पर बैठ कर मज़े में फलों को खाते है ...कुछ को चखते है ....शेष को फेंक देते है ...इन महानुभावों के डर से हमने अपने घरों में ग्रिल लगा लिया है... गली मोहल्ले में भी ये अपनी हुकूमत चलाते  रहते है...हश, हुश ...हश, हुश करने ,  डंडा लेके उन्हें डराने का प्रयास भी बेकार हो जाता है ..उल्टा उनके डर से हम ही छिप-छिप कर निकलते है... होलीवुड की एक मूवी  'प्लानेट ऑफ़ एप्स'  के मानव प्रजाति जैसे हमारे 'हालात' हो गए  है...एकदम 'बेचारे' से...
खैर अब मुद्दे पर आती हूँ ....कल की घटना है ...एक ढाई-तीन साल बच्चा , वाटर बोतल घुमाते हुए, उछल-कूद करते हुए, अपने में मगन गली में चला आ रहा था कि अचानक एक 'बन्दर' कूद के सामने आ गया.. बच्चा डर गया ...जोर-जोर से रोने लगा ...'बन्दर' ने उसपर एक मामूली दृष्टि डाली और  वही खड़े सब्जी के ठेले पर चढ़ गया...अब 'बच्चे' को गुस्सा आया ....उसने  हिम्मत की और ठेले पर चढ़े 'बन्दर' को चिल्ला-चिल्ला कर डांटने लगा...'बन्दर' ने ये देखा तो  वो भी गुस्सा हो गया ..उसने भी दांते निकालकर 'बच्चे' को डराया...'बच्चा'  डर कर पीछे भागा....'बन्दर' अब सब्जियां खाने लगा...'बच्चे' ने फिर से हिम्मत बटोरी और दूर से ही 'बन्दर' पर गुस्साने लगा ...'बन्दर' ने अब तक 'बच्चे' को कमज़ोर मान लिया था लिहाज़ा उसने ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा ...तब तक 'बच्चे' की 'मम्मी' आ गयी...  वो बच्चे का हाथ पकड़कर जाने लगी ......पीछे से कुछ लोगो ने 'बच्चे' से कहा -"कुछ कर देता तो  ...तुम ऐसा क्यूँ कर रहे थे?"

इसपर वो 'बच्चा'  एकदम से पलटा...दौड़कर 'बन्दर' के पास गया .... उसे चिढाते हुए तोतली बोली में जोर से बोला-"बन्दर मामा,  ओ बन्दर मामा!! मम्मी आ गयी  है!!अब डराकर दिखाओ!! "उसकी बात सुनकर वहा खड़े हम सब ठहाका लगाये बिना नहीं रह  सके.

Comments

Anonymous said…
bahut badia
बढ़िया ब्लॉग है ये .पहली बार पढ़ रहा हूँ .बच्चे और बन्दर के बहाने बहुत सामयिक और गंभीर मुद्दों को उठाने की सफल कोशिश की गई है .हार्दिक बधाई !