उर्मिला कौल : कुछ यादे

उर्मिला कौल......बचपन की यादे है धुंधली सी....मम्मी ‘मनोरमा’ पत्रिका लिया करती थी ....एक दिन उन्होने उसमे से एक फोटो दिखाया कहा कि ये उर्मिला आंटी का है .... इनकी लिखी एक कहानी छपी है...ये हमारे मुहल्ले मे ही रहती है...तस्वीर मे एक महिला शाल ओढे थी...मुस्कुराती हुई....बहुत सुंदर.....बाद मे बार एक बार मम्मी के साथ जाते हुए वे मिली...उन्होने मम्मी को घर मे बुलाया....मम्मी ने बताया कि ये वही है जिनकी कहानी छपी थी... .मै बहुत गर्व मह्सूस कर रही थी कि वो हमारे परिचितो मे है...उन्हे देर तक देखती रही... गौर वर्ण ......ऊंचा कद...प्रभावशाली व्यक्तित्व....बाद मे हमारे स्कूल मे कई बार अतिथि के तौर पर आयी.... साल बीते फिर वो हमारी संस्था द्वारा आयोज़ित कार्यक्रमो मे अभिभावक के तौर पर शामिल होकर हौसला अफजाई करती रही....संस्था द्वारा आयोजित कवि सम्मेलनो मे उन्हे कई बार सुना...बाल महोत्सव मे कविता पाठ, कविता लेखन की जज वही हुआ करती थी...वर्ष २०११ मे हमारी संस्था यवनिका ने उन्हे ‘यवनिका सम्मान’ से सम्मानित किया...हालांकि इससे स्वयम ‘सम्मान’ का सम्मान बढा.... उनके स्नेहमयी व्यवहार ने मुझे ज्यादा आकर्षित किया था....सरल...सहज...मुस्कुराती हुई....मिलने पर गले लगा लेती....ढेर सारा आशीर्वाद देती...मम्मी से कहती नीलम, तुम्हारी बेटिया बहुत प्रतिभाशाली है....उनसे बहुत प्यार मिला...दुलार मिला....जाने-अनजाने उनसे प्रेरणा मिलती रही...कई साल पहले उनको सुनकर ही 'हाइकु' बारे मे जाना....उनकी कई हाइकु तो जुबान पर है-

अमावस
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किसने बांधा,
पोटली मे अपने,
भोला सा चांद

इस उम्र मे भी उनकी कलम चलती रही थी.....शहर मे जिसने भी उनका आशीर्वाद चाहा, उसे मिला.....मै १५ अगस्त को स्कूल से आयी थी कि बहन ने उनके निधन का समाचार दिया....ये बहुत बडा झटका था... आशीर्वाद मे उठनेवाले हाथ सदा के लिये थम गये थे.....शब्द गुम गये थे....मेरे समझ मे कुछ नही आ रहा था....बस एक चुप सी लग गयी.... उनको नमन कर रही...विश्वास है वो जहा भी होगी, उनका आशीर्वाद सदैव हमे मिलता रहेगा.

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