था एक धनुर्धर राम

सूर्य-प्रभ-सम आलोकित,
वह वीर धनुर्धर था अद्भुत,
रावण-तम का संहार किया,
पुरुषोत्तम जग में कहा गया .

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शर- संधान करो तुम
तम जन-मन का हरो तुम
माया मृग फिर छलने आया
अब तो हुंकार भरो तुम

     





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