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मेरा हक
तरस मत खाओ
मै नहीं हूँ बेचारा
मत दो खाना ,
कपडे भी मत दो
बस एक कलम दो
और कुछ किताबें दो
सोचने का विवेक दो
सपनो का अधिकार दो
और फिर देखना
छीन लूंगा उनसे
अपने हक की रोटी
अपने हक का कपड़ा
अपने हक का मकान
अपने हक का जीवन
(एम डी एम पर सोचते हुए )
........स्वयम्बरा
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