पेंशन

माई बीमार थी...
अब-तब की बात थी...
बड़कावाले अस्पताल में भर्ती कराया गया
पांच हज़ार खर्चा हुआ...
बहुत दौड़-भाग हुआ...
दिन-रात का सेवा हुआ...
भाग था कि बच गयी...
बची साँसे मिल गईं

नहीं तो भारी आफत था ...
बहुत बड़ा आफत था
परिवरवे बर्बाद हो जाता..
एकदमें बर्बाद हो जाता...
तब बंद हो जाती गीतवा की पढ़ाई....
बंद हो जाता परबीनवा का दूध...
सुधवा का बियाह त होबे नहीं करता....
बाबू-मान के आँखे अंधार छाया रहता...

बाकि बच गयी माई
बरहम बाबा को मनाया गया था
बुढ़िया माई भीरी भी गोहार लगाया गया था
ए माई  ए माई कहते भर रात काटा गया था

आ बच गयी माई...
मने कि बच गया माई का परिवार
मने कि सुखी रहेगा माई का परिवार
बस जीती रहे माई

काहे कि जबले जीती रहेगी माई
तब ले मिलता रहेगा माई का 'पेंशन'
तब ले मिलता रहेगा परबीनवा को दूध,
गीतवा को किताब
आ सुधवा के बियाहो होईये जाएगा
-----स्वयंबरा

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