ये इश्क़ है

# ये इश्क़ है

अभी-अभी आँखों देखी,कानो सुनी एक सच्ची प्रेम-कहानी से रूबरू होकर आ रही...कहानी है अपने-अपने घरों के राजकुमार राजकुमारी की ...
घर के छोटे, सबके दुलारे थे वे..
पढ़ने लिखनेवाले...
देखने में भी हीरो हीरोइन जैसे ही...
घर आते जाते प्यार हो गया...
क्योंकि बकौल हमारी कहानी के राजकुमार-"प्यार किया थोड़े जाता वो तो हो जाता है"... (शरमाते हुए)..😃

खैर
अब हुआ यूँ कि जाति अलग....
एक फॉरवर्ड एक बैकवर्ड..
फिर ये समाज क्यों कर माने?
मौत का फरमान जारी हुआ...
दोनों भाग गए..
यहाँ वहां भटकते रहे...
अंततः एक छोटे शहर में पनाह लिया..
अब परिवार चलाने की समस्या थी...
सिर्फ प्यार से पेट तो नहीं भरा जा सकता न...

राजकुमार भी कहता है-
"लेकिन जीवन चलाने को, प्यार को साथ में रखने के लिए भी पैसा जरुरी"

तो पेट को तो रोटी चाहिए... रहने को छत और पहनने को कपडा भी चाहिए...
फिर क्या था बी एस सी(मैथ ऑनर्स) की डिग्री को दूर कोने में दफ़न किया गया और रेत, गारे, सीमेंट को ढोया जाना शुरू हुआ..
मतलब मजदूरी की शुरुआत हुई....
सुबह चार बजे उठकर बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया जाता है जिसमे राजकुमारी का भी सहयोग होता है...जीवन की गाड़ी ऐसे चल रही है...
परेशानी तब जब स्वास्थ्य साथ न दे...अभी पत्नी की किडनी में इंफेक्शन हुआ...टेस्ट दवाई लेकर काफी पैसे लगे...पांच दिन मजदूरी नहीं मिली वो अलग...

ये परेशानियां और घर की याद, बड़ों का प्यार-दुलार राजकुमार को बहुत रुलाती हैं....
कभी-कभी वह रातभर सो नहीं पाता... राजकुमार कहता है-
"प्यार नहीं करना चाहिए...कभी नहीं... हो जाए तो परिवार को साथ लेकर ही आगे बढ़ना चाहिए"....

पर वह टूटता नहीं दूसरे दिन ही काम पर लग जाता है....

मैं कैसे जानती इन्हें.?
आजकल मेरे घर पर काम लगा हुआ है और ये जनाब हमारे यहाँ ही काम कर रहे...

फोटो और पूरा परिचय नहीं दे सकती क्योंकि जीवन पर खतरा तो अब भी है...

पर सलाम इस जज्बे को ... प्रेम निभाने की भावना को ...
सलाम है इस इश्क़ को
सलाम  है इस इश्क़ को
---स्वयंबरा

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