हम औरते
हम औरते,
खिलखिलाते बचपन से ही,
तुमसब की तथाकथित इज्जत का सलीब
अपने नरम कांधों पर ढोते-ढोते,
झुर्रिया बन जाती हैं
हम
जिनके घर से बाहर निकला एक कदम
पूरे स-मा-ज के,
पतन का कारण बन जाया करता है
हम औरतें
जिनकी सांसे,
चलती हैं अनुमति से
बचपन में पिता
जवानी में पति
बुढ़ापे में बेटा
देते हैं अनुमति जीने की
हमारे जीने का आधार है हमारा शील
जिसका भंग होना,
बचपन में पिता
जवानी में पति
बुढ़ापे में बेटा
देते हैं अनुमति जीने की
हमारे जीने का आधार है हमारा शील
जिसका भंग होना,
निर्मम मौत का सबब होता है
हम औरतें,
जिन्हें वो,
हम औरतें,
जिन्हें वो,
देवी कहकर चुप रहने को करते हैं क्रूर इशारे
ताकि उन्हें मिले आज़ादी,
ताजिंदगी
और करते रहें हम बर्दाश्त,
ताकि उन्हें मिले आज़ादी,
ताजिंदगी
और करते रहें हम बर्दाश्त,
उनकी सारी ताड़नाएं
हम औरते,
बुनती हैं सलाईयों पर,
हम औरते,
बुनती हैं सलाईयों पर,
अपने सपने
सिलती हैं बारम्बार,
सिलती हैं बारम्बार,
अरमानो के चीथड़े
भींगी आँखों से पोंछती हैं तुम्हारे आँसू
पर तुम नोचते हो
भींगी आँखों से पोंछती हैं तुम्हारे आँसू
पर तुम नोचते हो
हमारा ही जिस्म
हमारी रूह
हमारा 'पूरा का पूरा' वजूद
हमारी रूह
हमारा 'पूरा का पूरा' वजूद
Comments
बचपन में पिता
जवानी में पति
बुढ़ापे में बेटा
देते हैं अनुमति जीने की
bilkul satya hai..
par ham sab chahein to ise badal sakte hain...