कब तक जारी रहेगा महिला रंगकर्मी ka sangharsh


हम लाख आधुनिक हो जाए पर हमारी सोच सदियों पुरानीही रहेगी। अब नाटकों की बातें ही करे तो ये अक्सर होता है की जब लड़के नाटक करने के लिए हमारे पास आते हैं तो हमें इस बात की फिक्र नही होती की उन्होने अपने माता पिटा से पूछा है या नही। पर जब बात किसी लड़की की होती है तो हमारी ही सलाह होती है की पहले अभिभावक से पूछ लो। या हम ही उनसे अनुमति मांगते है।जैसे की हम kooch बहुत बुरा कर रहे है.यहाँ तक की हम अपने शहर में समाज के डर से naatak नही करना chhahte.क्योंकि जो manch हमारे लिए poojaaghar है vo हमारे शहर के लिए बरबाद होने की ख़ास जगह है। मुझे याद है vo किताब.........मुझे chhand chhahiye ।छोटे शहर की oos नायिका का sangharsh अब भी जारी है । हम जो समाज को एक दिशा देने की कोशिश में लगे रहते हैं,लोगो को ये बताने में अबतक नाकाम हैं की रंगकर्म कितना पवित्र है। इसके माध्यम से हम समाज की कुरीतियों पर आघात कर उसे नस्त कर सकते हैं। पर देखिये तो हम रंगकर्मी ही इनके किस कदर शिकार हैं.yahi है हम महिला rangkarmiyon और हमारे छोटे से शहर के रंगकर्म की बदनसीबी.जो हो पर नाटकों से hamaara lagaav अब भी badastoor जारी है.और साथ ही जारी है hamaara सतत sangharsh।

Comments

Anonymous said…
To the owner of this blog, how far youve come?You were a great blogger.
lumarshahabadi said…
bahut hi achha prayas hai,har sarthak karyon men kuchh kathinaiyan ati hai .lekin lage rahiye
Bandmru said…
jab tak hum aap aur samaj iske mahtv ko nahi smjhega.