किस गांव की बात करते हो जी ?



किस गांव की बात है जी ! 
किस्से- कहानी  वाले
मन को बहलानेवाले
सपनों में आनेवाले

दिखाओ जी दिखाओ,
कहाँ हैं ये गांव ?
किस जगह जमती है चौपाल?
कहाँ सुने जाते है 
बिरहा, चैता, फगुआ के तान
किस डाल पर पडता है झुला
कैसे गाती हैं वे बेखौफ, कजरियाँ
मिहनत और श्रम, भोले से जन
होते है क्या?

ना जी ना
वो गांव एक छलावा था
बस, एक दिखावा था
पढ़-सुनकर, सोचकर
तुमने भ्रम पाला था

किस्सा यही सच कि
खो गए हैं गाँव
शहर बनते बनते 
कुरुप हुए गाँव
लोभ और लालच से 
विद्रूप हुए गाँव


डर है वहाँ
शोर है वहाँ
शहरों के सारे चक्कर, 
मिलते हैं वहाँ
भाग जाना चाहे
जो बसते है वहाँ

गाँव गाँव गाँव गाँव 
गाँव, गाँव कहाँ रहा 
खोजो और बचा लो इसको
गाँव लुप्तप्राय हुआ
गाँव लुप्तप्राय हुआ
गाँव लुप्तप्राय हुआ


.......स्वयम्बरा

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