छनिकाएं -भूख की
1
मर गई 'वह'
'भूख 'से बिलबिलाते
सोती रही 'मानवता '
2
'प्रेम' की जगह
लिख दो 'भूख '
लैला-मजनू
अब पैदा नही होते
३
आदमी 'भूखा 'है
वो नोचता है दूसरों को
उन्हें मार देने तक
मर गई 'वह'
'भूख 'से बिलबिलाते
सोती रही 'मानवता '
2
'प्रेम' की जगह
लिख दो 'भूख '
लैला-मजनू
अब पैदा नही होते
३
आदमी 'भूखा 'है
वो नोचता है दूसरों को
उन्हें मार देने तक
Comments
यदि आप आज्ञा दें तो भुख़ पर मेरे द्वारा लिख़ी कविता आपको प्रेषित करुं।
मुझे इस पते पर ईमेल करें
nawal9334307215@hotmail.com
लिख दो 'भूख '
लैला-मजनू
अब पैदा नही होते
satya hain......
bhukh aur dukh...
dono purak hain .....
भूख के लिए ईमान बेचा जाता है,
आज तो वो दौर आया है,
भूख के लिए इन्सान बेचा जाता है...
yahi to aaj ka haal hai..
kyon swaym?
acha likha hai...
jari rahe
aapka prayas achha hai. nirantarta ise naye viram degi. shubhkamnaen.