माँ

देखो न
आज तुम्हारी सिलाई मशीन निकाल लिया
सोच रही बेटू के लिए कुछ खिलौने बना दूं
गुड़िया, हाथी, घोड़े से बचपन सजा दूं
××××
सुनो तो
चिड़ियों का दाना-पानी रोज रख आती हूँ
आजकल मैं भी पेड़ पौधों से बतियाती हूँ
तुम्हारी किटी अब भी शैतानी करती है
उसको जोर से फटकार भी लगाती हूँ
××××
अब तो
आती जा रही हो तुम दिनों दिन मेरे अंदर
और एक दिन 'मैं ' पूरी 'तुम' बन जाऊँगी
फिर चली आऊँगी तुम्हारे पास हमेशा के लिए
तुम सोना, मैं लोरी सुनाऊँगी
----स्वयंबरा

Comments

JWO V Ranjan said…
Maa.... maa... maa....
Aur kya kahun....?????
Kaise kahun....?????
Sabdo ka maano... akaal pad gaya...????
Maa... usme samayi sampurna shirsti hai......
Mai kya kahun...?????
Wo to meri.... antar drishti hai...