बातें लोगों की

विवाहितों के कन्धों पर ही जिम्मेदारी का बोझ होता है ...कर्तव्य-निर्वहन भी वही करते हैं...बंधे होते हैं...पहले दूसरों की सोचते फिर अपने बारे में ....(उफ़ ये महान लोग)

जबकि अविवाहित तो आज़ाद, जिम्मेदारियों से मुक्त, अपने मन की ही करनेवाले होते हैं...उन्हें किसी की परवाह कहाँ...और परिवार तो पति- पत्नी और बच्चों से ही बनता है तो इस लिहाज से अविवाहितों का तो परिवार ही नहीं तो जिम्मेदारी भी कहाँ..(एकदम उदंड लोग
.....स्वयंबरा

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